मंगलवार, 9 नवंबर 2010

'दिमाग की बत्ती' जलने में 20 लाख साल लग गए!

ताजा अध्ययन से यह पता चला है कि जिंदगी को सरल बनाने वाले उपकरण जैसे पत्थर की कुल्हाड़ी आदि विकसित करने में इंसान को बहुत समय लगा। गुफा मानव को दिमाग का इस्तेमाल करने में लगभग 20 लाख का समय लग गया।

शुरुआती इंसानों को मन में उपकरण बनाने के विचार तो आए, लेकिन उसे हकीकत में बदलने वाला बुद्धि कौशल उसके पास उस समय मौजूद नहीं था। लंदन के इंपीरियल कॉलेज द्वारा किया गया शोध बताता है कि तबके मनुष्यों का दिमाग जटिल विचारों को हकीकत में बदलने की क्षमता नहीं रखता था।



शोधकर्ताओं के मुताबिक, भाषा का विकास और किसी उपकरण को डिजाइन करने का विचार दिमाग के एक ही हिस्से से पैदा होता है, ऐसे में ये दोनों कौशल साथ-साथ ही विकसित हुए होंगे। वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ. एल्डो फैजल के मुताबिक पूर्वजों द्वारा पत्थर के इस्तेमाल से लेकर हाथ में पकड़ी जा सकने वाले कुल्हाड़ी बनाने तक का सफर लंबा था।

इंसानी दिमाग के कौशल का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने कंप्यूटर मॉडल बनाया। जिसमें शुरुआती इंसानों के हाथ का इस्तेमाल समझने के लिए डाटा ग्लव्ज (दस्ताने) तैयार किए गए। इनमें लगे सेंसरों से पता चला कि करीब 25 लाख साल पहले पेलियोलिथिक काल में इंसान पत्थरों का इस्तेमाल करता था, जबकि इस काल के अंत यानी 20 लाख साल बाद वह हाथ से पकड़ी जा सकने वाली कुल्हाड़ी बनाने लगा।

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