रविवार, 3 जुलाई 2011

तीन माह का शिशु सोते समय भी आवाज पहचान सकता है

तीन माह का बच्चा सोते समय भी किसी व्यक्ति की दु:खभरी या सामान्य आवाज को पहचान सकता है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। यह शोध किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने किया है। उनका मानना है कि इस अध्ययन के नतीजों से भविष्य में शोध के जरिए दिमाग के कामकाज व विकास और ऑटिज्म जैसी बीमारियों के संबंध में पता लगाने में मदद मिल सकती है। शोधकर्ता के अनुसार मानवीय आवाज काफी महत्वपूर्ण सामाजिक संकेत होती है। दिमाग बहुत कम उम्र में ही इसे समझने की विशेषज्ञता दिखाना शुरू कर देता है।

शोधकर्ताओं ने जब बच्चों को सामान्य मानवीय आवाजें सुनवाईं तब उनके दिमाग का वह हिस्सा सक्रिय हो गया जो बड़े लोगों में मानवीय आवाजों को सुनने के बाद सक्रिय होता है। बच्चों को जब रोने की आवाज सुनाई गई तो उनके दिमाग का वह हिस्सा सक्रिय हो गया जो बड़ों में भावुक बातों को सुनने के बाद होता है। इसका मतलब है कि बच्चे भी विभिन्न भावनात्मक स्थितियों को समझने और उस पर सहानुभूति जताने की क्षमता रखते हैं।

शोधकर्ता डेक्लैन मर्फी ने बताया, ‘हम इस क्षेत्र में अब आगे शोध कर रहे हैं ताकि समझ सकें कि दिमाग के विकास में अंतर कैसे आता है और क्या हम सटीकता से ऐसे बच्चों की पहचान कर सकते हैं जिन्हें आगे चलकर ऑटिज्म जैसे विकार होने का खतरा है।’

अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 3 से 7 माह के बच्चों के दिमाग का स्कैन सोते समय किया। शोधकर्ताओं ने खांसते वक्त और जम्हाई लेते वक्त की सामान्य आवाजें बच्चों को सुनाईं। उन्हें पानी और खिलौनों की आवाजें भी सुनाई गईं। दोनों तरह की आवाजों के प्रति बच्चों के दिमाग की प्रतिक्रिया की तुलना की गई।

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