बुधवार, 29 जून 2011

भारतीय महिलाएं दुनिया में सबसे ज़्यादा तनाव का शिकार हैं

पिछले दिनों दुनिया के प्रमुख विकसित एवं विकासशील देशों में आज की भागदौड़ और आपाधापी से होने वाले तनाव के बारे में किए गए इस सर्वेक्षण में कुल 21 विकसित एवं विकासशील देशों को शामिल किया गया था। और इस सर्वेक्षण के अनुसार भारत की सर्वाधिक महिलाएं तनाव में रहती हैं।


विश्व सूचना एवं विश्लेषक कंपनी नीलसन की २८ जून को टोक्यो में प्रकाशित सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा 87 प्रतिशत भारतीय महिलाओं ने बताया कि ज्यादातर समय वे तनाव महसूस करती हैं जबकि 82 प्रतिशत भारतीय महिलाओं ने कहा कि उन्हें आराम करने का वक्त नहीं मिलता।

भारत में तनावग्रस्त महिलाओं की संख्या ज्यादा होने के बावजूद वे वित्तीय स्थिति में सुधार की संभावनाओं के मद्देनजर अपनी पुत्रियों को अच्छी शिक्षा दिलाने के प्रति आशान्वित भी पाई गईं। भारतीय महिलाओं ने कहा कि वे अगले पांच सालों में अपनी जरूरतों पर ज्यादा खर्च करने की स्थिति में होंगी। इनमें से 96 प्रतिशत ने अतिरिक्त खर्च कपड़ों पर करने का अनुमान व्यक्त किया, जबकि 77 प्रतिशत स्वास्थ्य एवं सौंदर्य प्रसाधनों पर और 44 प्रतिशत ने घरेलू इस्तेमाल के इलेक्ट्रानिक उपकरणों पर खर्च करने का संकेत दिया।

फरवरी से अप्रैल तक भारत, तुर्की, रूस, दक्षिण अफ्रीका, नाईजीरिया, चीन, थाईलैंड, मलेशिया, मैक्सिको, ब्राजील, अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, स्वीडन, जापान, आस्ट्रेलिया तथा दक्षिण कोरिया में किए गए इस सर्वेक्षण के दौरान साढे़ छह हजार महिलाओं से बातचीत की गई। तनावग्रस्त 74 प्रतिशत महिलाओं के साथ मैक्सिको दूसरे तथा 69 प्रतिशत महिलाओं के साथ रूस तीसरे स्थान पर है।

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मंगलवार, 21 जून 2011

मुस्कुराईये, क्योंकि आपका काम होने वाला है

चेहरे पर आई हल्की सी मुस्कुराहट में गजब की ताकत होती है और यह बहुत दूर तक असर करती है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के एक शोध के अनुसार, मुस्कुराहट सिर्फ दिल को सुकून ही नहीं देती, इसका सेहत से भी सीधा संबंध है। मात्र दो इंच की मुस्कुराहट से चेहरे की दजर्नों नसों का व्यायाम हो जाता है। लगातार मुस्कुराते रहिए, इससे चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़तीं और हमेशा रौनक बनी रहती है।


मुख्य शोधकर्ता जॉन डाल्टन का यह शोध कहता है कि मुस्कुराने से चेहरे से लेकर गर्दन तक की मांसपेशियों का व्यायाम हो जाता है। मुस्कुराते वक्त चेहरे की सभी मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जिससे जल्दी झुर्रियां नहीं पड़तीं। एक अन्य शोध के मुताबिक मुस्कुराकर कही गई बात सामने वाले पर अच्छा प्रभाव डालती है। मुस्कुराकर कहा गया काम हो या फरमाइश, उसके पूरा होने की संभावना 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।

बोस्टन यूनिवर्सिटी के सामाजिक विज्ञान के प्रोफेसर डी. क्लचर ने इस शोध के लिए 10,000 लोगों को सैंपल सर्वे के जरिए चुना। उनमें से 85 प्रतिशत का मानना है कि उनके जीवन में कई ऐसे मौके आए जब मुस्कुराकर बात करने से उनका बिगड़ता हुआ काम भी बन गया। बाकी 15 प्रतिशत का मानना है कि मुस्कुराहट बहुत ज्यादा काम नहीं आती।

शोध में शामिल लोगों से जब पूछा गया कि अगर कोई उनसे मुस्कुराते हुए किसी काम के लिए कहे तो आपकी प्रतिक्रिया क्या होती है इसके जवाब में 75 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह अपने काम नहीं करने के निर्णय पर दोबारा विचार करते हैं तथा 65 प्रतिशत लोगों ने माना कि वह उस काम को कर देते हैं। इस शोध की मानें तो इसका मतलब यह हुआ कि अगर किसी को मुस्कुराकर कोई काम करने के लिए कहा जाए तो उसके होने की संभावना 65 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।

वैसे हर वक्त मुस्कुराना भी ठीक नहीं है। किसी के गम में शरीक होने जाएं या आफिस में कोई काम बिगड़ जाने पर बॉस की डांट खा रहे हों तो मुस्कुराने से परहेज ही करें, वर्ना लेने के देने भी पड़ सकते हैं।

रविवार, 19 जून 2011

लम्बे समय टेलीविज़न देखते रहिये, मौत ज़ल्दी आएगी !!

शोधकर्ताओं का कहना है कि जो लोग लम्बे समय तक बैठे टेलीविज़न देखते रहते हैं उनमें डायबिटीज़ और हृदय रोग का ख़तरा बढ़ जाता है. इस शोध में पाया गया कि हर दो घंटे अधिक टीवी के सामने बैठने से मधुमेह रोग का ख़तरा 20 प्रतिशत और हृदय रोग का ख़तरा 15 प्रतिशत बढ़ता है. टीवी बंद करके कुछ मेहनत का काम करने से एक हज़ार में से दो लोग इन बीमारियों से बच सकते हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि टीवी देखना अपने आप में कोई समस्या नहीं है लेकिन जो लोग घंटो टीवी के आगे बैठे रहते हैं उनकी जीवन शैली आमतौर पर निष्क्रिय होती है इसलिए उनके मोटे होने की संभावना भी बढ़ जाती है.


शोधकर्ता कहते हैं कि टीवी देखने जैसी अन्य गतिविधियों का भी समान असर होता है जैसे कम्प्यूटर पर गेम्स खेलना या इंटरनेट देखना. उन्होने आठ बड़े शोधों के निष्कर्षों की जांच की जिनमें 175,000 लोग शामिल किए गए थे और देखा कि टीवी देखने से कौन सी बीमारियां जुड़ी हुई हैं. उन्होने पाया कि जो लोग दो घंटे प्रतिदिन से अधिक देर तक टीवी देखते हैं उन्हे टाइप टू डायबिटीज़ और हृदय रोग का ख़तरा बढ़ जाता है और तीन घंटे प्रतिदिन से अधिक टीवी देखने से समय से पहले मृत्यु का ख़तरा बढ़ता है. अनुसंधानकर्ताओ का अनुमान है कि हर दो घंटे अधिक टीवी देखने से एक लाख में से 38 लोगों के दिल की बीमारी से मरने और 176 लोगों के डायबिटीज़ विकसित करने का ख़तरा बढ़ता है. इस बात के प्रमाण हैं कि अगर व्यक्ति शारीरिक रूप से सक्रिय रहे तो उसके टाइप टू डायबिटीज़ विकसित करने का ख़तरा 60 प्रतिशत कम हो जाता है.

संदेश बड़ा सीधा सा है. टीवी देखना कम करने से टाइप टू डायबिटीज़, हृदय रोग और जल्दी मौत का ख़तरा घटता है. चाहे अनचाहे हम सभी की शामें टेलीविज़न के सामने सोफ़े पर बैठे हुए क्रिस्प और बिस्कुट खाते और मीठे पेय पदार्थ या शराब पीते बीतती हैं. लेकिन ये बहुत ज़रूरी है कि ये हमारी रोज़ की दिनचर्या न बनने पाए।

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शनिवार, 18 जून 2011

लम्बी उम्र चाहिए तो धूप में रहिये

आजकल आ रहे विज्ञापनों में अपनी क्रीम बेचती कंपनिया यह कहती पायी जाती हैं कि दो मिनट की धूप भी आपके लिए नुकसानदायक है. लेकिन सूर्य की रोशनी से अगर आप डरते हैं तो जरा इस शोध पर गौर कीजिए। एक नए अध्ययन में पता चला है कि सनबाथ लेने से उम्र बढती है। अध्ययन में पाया गया कि जो महिलाएं नियमित तौर पर धूप स्त्रान करती हैं, उनके ज्यादा दिनों तक जीवित रहने की संभावना रहती है।


स्वीडन के लुंड विश्वविद्यालय के शोधकर्तायों ने अपने शोध के माध्यम से यह साबित किया है कि धूप स्त्रान से सिर्फ विटामिन-डी ही नहीं मिलता बल्कि खून के थक्के जमने, मधुमेह और कुछ प्रकार के ट्यूमरों के खिलाफ शरीर को जरूरी प्रतिरोधी क्षमता देता है।

यह इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत बनाता है। लेकिन हमेशा सुबह की धूप का ही सेवन करें।

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गुरुवार, 16 जून 2011

बेटी चाहते हैं ? सुन्दर पार्टनर ढूंढिए

क्या आप भी बेटी चाहते हैं अगर हां तो अपने लिए एक सुन्दर पार्टनर तलाश कीजिए। क्योंकि एक शोध के मुताबिक सुन्दर दिखने वाले जोड़ों की बेटी पैदा होने की संभावना ज्यादा होती है। रिप्रोडक्टिव साइंसेज में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार सुन्दर औरतों और मर्दों में कम सुन्दर दिखने वालों की तुलना में बेटी होने की संभावना ज्यादा होती है।

(एक प्रतीकात्मक चित्र)

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की विकासवादी मनोविज्ञानी सातोषी कानजवा ने मार्च 1958 में ब्रिटेन में जन्मे 1700 बच्चों का अध्ययन किया है। उन्होंने सभी बच्चों के बारे में उनके जीवन के अनेक स्तरों का अध्ययन किया। अध्ययन में यह देखा गया कि स्कूल और कॉलेज में इन बच्चों को उनके शिक्षकों ने सुन्दर कहा या बदसूरत। और 45 साल की उम्र में इन्हीं लोगों से उनके बच्चों और बच्चों के लिंग के बारे में पूछा गया।

सभी आंकड़ों को जमा करने के बाद कानजवा ने पाया कि अध्ययन के लिए लिए गए नमूने वाले लोगों में से 84 प्रतिशत लोगों को बेटे और बेटियां दोनों हुई, जबकि जो लोग खूबसूरत नहीं थे उन्हें बेटे ज्यादा हुए।

कानजवा ने कहा कि शारीरिक तौर पर सुन्दर होना कन्या शिशु तय करने के लिए एक मजबूत निर्धारक है। औसतन बदसूरत लोगों में से 56 में बेटे के माता-पिता बनने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। उनका मानना है कि हम बच्चों के लिंग को सुन्दरता के साथ जोड़कर जिस लिंग के बच्चे चाहें पैदा कर सकते हैं।

मर्दों के लिए यह बात हमेशा आसान रहती है क्योंकि वे शादी के रिश्ते में हों या फिर अफेयर की बात हो अपने लिए एक सुन्दर पार्टनर ही खोजते हैं। मगर औरतें सिर्फ अफेयर के लिए ही सुन्दरता को देखती हैं, दीर्घकालिक बंधन के लिए वे हमेशा पैसे, सामाजिक स्थिति जैसी चीजों को देखती हैं

मंगलवार, 14 जून 2011

ताकत चाहिए तो देखिए लाल

अपनी शारीरिक क्षमता और गति बढ़ानी है तो पेश है एक बेहद आसान उपाय। एक नए अध्ययन के मुताबिक, उपाय है लाल रंग देखना। इमोशन जर्नल के हालिया अंक के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया कि इंसानों को जब लाल रंग दिखाया जाता है तो उनकी प्रतिक्रिया ज्यादा तेज और मजबूत हो जाती है।


वैज्ञानिकों का कहना है कि यह खोज भारत्तोलन जैसे खेलों में उपयोगी साबित हो सकता है, जिसमें शक्ति और तेजी की जरूरत पड़ती है। अध्ययन करने वाले दल के अगुवा और न्यूयॉर्क के रोचेस्टर विश्वविद्यालय में मनोवैज्ञानिक एंड्रयू इलियट के हवाले से डेली एक्सप्रेस ने बताया, लाल हमारी शारीरिक प्रतिक्रियाओं को तेज करता है क्योंकि इसे खतरनाक रंग माना जाता है।

इससे पहले के अध्ययनों में कहा गया था कि लाल रंग हानिकारक होता है और लाल कमीज पहने विरोधियों से एथलीट के हारने की आशंका ज्यादा होती है और यहां तक की परीक्षा के पहले लाल रंग दिखाने से छात्रों का प्रदर्शन फीका पड़ जाता है।

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