गुरुवार, 22 जून 2017

किस महीने में पैदा होने वाले लोगों को कौन सी बीमारी

वैज्ञानिकों का दावा है कि सितंबर में पैदा होने वाले सबसे अधिक बीमार होते हैं और जिन महिलाओं का जनम  जुलाई में हुआ है उन्हें ब्लड प्रेशर का खतरा 27% ज्यादा होता है.

यह दावा स्पेन के वैज्ञानिकों ने किया है। उन्होंने बताया है कि किस महीने में पैदा होने वाले लोगों को कौन सी बीमारी होती है। साथ ही महीनों के आधार पर ऐसी 27 बीमारियों की पहचान भी की है, जो पुरुष-महिलाओं में होती है।

वैज्ञानिकों के अनुसार सितंबर में पैदा होने बच्चे सबसे ज्यादा बीमार होते हैं। उन्हें गंभीर बीमारी का खतरा रहता है। सितंबर में पैदा होने वाले पुरुषों को सबसे ज्यादा थाॅयराइड की समस्या होती है। उनमें यह बीमारी जनवरी में पैदा होने वालों से 3 गुना ज्यादा होती है।

जून में पैदा होने वाले पुरुषों में 34% डिप्रेशन व 22% तक कमर दर्द होने का खतरा कम होता है। इसी तरह जुलाई में पैदा होने वाली महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर का खतरा 27% तक अधिक होता है, साथ ही वे 40% तक ज्यादा असंयमी होती हैं। जो महिलाएं जून में पैदा होती हैं, उनमें 33% माइग्रेन और 35% तक मेनोपॉस की समस्या का खतरा कम होता है।

यह दावा यूनिवर्सिटी ऑफ एलिकैंटे के वैज्ञानिकों ने 30 हजार लोगों पर अध्ययन के बाद किया है।

खोजकर्ता प्रोफेसर जोस एंटोनियो क्वेसडा कहते हैं 'अध्ययन में कई महत्वपूर्ण तथ्य मिले हैं, जिनसे पता चला कि किस तरह पैदा होने के महीने और बीमारियाें में आपस में संबंध हैं।

जैसे अल्ट्रावायलेट किरणें, विटामिन-डी, वायरस, एलर्जी आदि का, जोकि बच्चेदानी में शिशु के शुरुआती 1 महीने की जिंदगी प्रभावित करते हैं।'

यह हिसाब किताब कुछ यूं है!

शनिवार, 6 मई 2017

स्मार्टफोन, टैबलेट पर अधिक समय बिताने वाले बच्चे, देर से बोलना सीख पाते हैं.

एक अध्ययन में आगाह किया गया है कि स्मार्टफोन, टैबलेट और अन्य उपकरणों पर अधिक समय व्यतीत करने से बच्चे, देर से बोलना सीख पाते हैं.

स्मार्टफोन के चलते बच्चों में बढ़ रही आंखों में सूखेपन की समस्या शहर में वर्ष 2011 से 2015 के बीच किए गए इस अध्ययन में छह माह से दो वर्ष तक के 894 बच्चों को शामिल किया गया.

बच्चों के माता-पिता के अनुसार 18 माह तक की जांच में करीब 20 प्रतिशत बच्चों ने औसतन 28 मिनट तक इन उपकरणों का इस्तेमाल किया.

भाषायी सीख में देरी से जुड़ी जांच में अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि अभिभावकों ने बच्चों के उपकरण की इस्तेमाल की अवधि जितनी अधिक बताई, उनके बच्चों के बोल सकने में उतनी ही देरी पायी गयी.

अनुसंधान में पाया गया है कि स्क्रीन टाइम में हर 30 मिनट की देरी पर बोल सकने में विलंब का खतरा 49 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.