मंगलवार, 2 अगस्त 2011

दूध पी रहें हैं या रसायनों का कॉकटेल?

सुबह का नाश्ता हो या फिर रात का भोजन, सेहत और तंदुरस्ती की गारंटी है गर्मागरम दूध का एक गिलास। आप सोचते हैं दूध का एक गिलास गटक लिया तो मानो सेहत का खजाना मिल गया लेकिन वैज्ञानिकों के ताजा अध्ययन में सफेद दूध का जो काला सच सामने आया है उसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

अब अगर दूध में मिलावट कुदरती तौर पर होने लगे तो आप क्या करेंगे? चौंकिए नहीं, दूध में शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन, विटामिन और फैट्स ही नहीं बल्कि दूध में एंटीबॉयोटिक, दर्दनिवारक, हॉरमोन और इसी तरह की कई दवाइयों का भी घुसपैठ हो चुकी है जो इंसान और जानवरों की गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होता है।


स्पेन और मोरक्को के वैज्ञानिकों ने एक अतिसंवेदनशील जांच में पाया कि एक गिलास दूध में नाइफ्लूमिक एसिड, मेफेनामिक एसिड, किटोप्रोफेन, डाय़क्लोफेनाक, फेनिलबुटाजोन जैसे दर्दनिवारक दवाइयां, फ्लोरफेनिकॉल जैसी एंटीबॉयोटिक दवाई और एस्ट्रोजन, एस्ट्राडायल, एथिनायलएस्ट्राडायल जैसे हॉरमोन भी मौजूद हैं।

दूध में नैपरोक्सेन, फ्लूनिक्सिन, डायक्लोफेनाक जैसी ताकतवर दर्दनिवारक दवाइयां भी मिली, जिनका इस्तेमाल इंसान और जानवरों में हड्डी की गंभीर बीमारियों में होता है। दूध में पायरीमेथामाइन जैसी एंटी मलेरिया ड्रग और ट्रायक्लोसान जैसी एंटी फंगल ड्रग की भी घुसपैठ हो चुकी है। हालांकि जांच में पता चला है कि दूध में इन दवाओं की मात्रा बेहद कम है और इसका असर इंसान पर नहीं होता लेकिन लंबे समय तक दूध पीने से इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं।

नाइफ्लूमिक एसिड से अल्सर, सांस की बीमारी, खून की कमी हो सकती है तो मेफेनामिक एसिड सिरदर्द, डायरिया, गैस्ट्रोइंटेस्टाइन बीमारियों का कारण बन सकता है। किटोप्रोफेन से अल्सर, किडनी की बीमारी, डाय़क्लोफेनाक से दिल और लिवर की बीमारी हो सकती है। फेनिलबुटाजोन से अल्सर, किडनी की बीमारी हो सकती है तो फ्लोरफेनिकॉल जैसी एंटीबॉयोटिक दवाई डायरिया पैदा कर सकती है।

एस्ट्रोजन से अल्सर, दिल की बीमारी तो एस्ट्राडायल से हड्डी और लिवर की बीमारी हो सकती है। एथिनायलएस्ट्राडायल जैसे हॉरमोन से दिल और त्वचा की बीमारी हो सकती है। नैपरोक्सेन, फ्लूनिक्सिन, डायक्लोफेनाक जैसी दर्दनिवारक दवाइयों से अल्सर और दर्द की बीमारियां हो सकती हैं तो पायरीमेथामाइन जैसी एंटी मलेरिया ड्रग ब्लड कैंसर और ट्रायक्लोसान जैसी एंटी फंगल ड्रग से एलर्जी हो सकती है।

खतरा इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि जांच में गाय के दूध में सबसे ज्यादा इन दवाओं की मात्रा पाई गई। वैज्ञानिकों का मानना है कि अब इंसान के बनाए केमिकल और दवाइयां, खाने की हर चीज में पहुंच गए हैं और इसलिए इनके असर की जांच बेहद जरूरी हो गई हैं।

अब सवाल यह सामने आता है कि गाय, बकरियों के दूध में गंभीर बीमारियों का इलाज करने वाली दवाइयां कहां से आईं। इस सवाल के जवाब में छुपा है वो खतरनाक सचाई जो धरती के हर जीव के लिए खतरा बन गई है। दरअसल इंसान के बनाए रसायन और दवाइयां, धरती की आबोहवा में जहर की तरह घुल गई हैं जिसका खतरनाक असर लगातार दिख रहा है।

मामला बेहद चौंकाने वाला है, लेकिन यही हकीकत है। इंसानों की बनाई केमिकल और दवाइयां धीरे धीरे धरती की पूरी आबोहवा में जहर की तरह घुलती जा रही है और इसके बेहद खतरनाक नतीजे सामने आ रहे हैं। इंग्लैंड के पोर्ट्समाउथ तट पर नर मछलियां अचानक अंडे देने लगी। मछलियों में आय़ा ये परिवर्तन हैरान करने वाला था। वहीं भारत और दक्षिण अफ्रीका में गिद्ध की आबादी में आई कमी भी आबोहवा में घुलती दवाओं का ही नतीजा है। नर मछलियों के अंडे देने का कारण कंट्रासेप्टिव पिल के वो हॉरमोन हैं जो समुद्र में पाए गए।

वहीं घोड़ों के लिए बनी दर्दनिवारक दवा डायक्लोफेनाक गिद्ध की मौत का कारण बन रहीं क्योंकि मरे हुए घोड़ों को खाने के बाद गिद्ध भी बेमौत मर रहे। दरअसल जांच मे पता चला है कि दवाइयां और रसायन धरती के फूड चेन में मिलकर खाने की हर चीज तक पहुंच चुके हैं। इन दवाओं का अंश घर के सीवर से होते हुए नदी और समुद्र तक पहुंच रहा। पानी में पहुंच कर ये दवाइंया फिर खेतों और अनाजों तक पहुंचती है और इस तरह एक श्रंखला बन जाती है।

यानी बीमारियां दूर करने वाली दवाएं ही बीमारी और मौत बांट रही और ये सिलसिला हर दिन तेज होता जा रहाहै।

मूल समाचार यह है

6 टिप्‍पणियां:

  1. सफेद रंग का पेय देखकर दूध का भ्रम तो हो ही जाता है!

    जवाब देंहटाएं
  2. ओह!! बहुत ही खतरनाक जानकारी है यह तो......आखिर मनुष्य खाए क्या फिर..

    जवाब देंहटाएं
  3. पाबला जी,कितना भी आप डराएं,हम तो दूध छोडनेवाले नहीं हैं.
    पीनेवाले को पीने से मतलब.
    'कॉकटेल' हो तो क्या कहने.

    मेरे ब्लॉग पर आने का भी समय निकालिएगा.

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रिय महोदय
    ,सिर्फ तीन शब्दों ‘छीलकर रख दिया’ की ऐसी प्रतिध्वनि! वैश्विक ब्लाग संसार को अवश्य ही इन शब्दों के साथ यथोचित व्यवहार करना चाहिये अन्यथा क्या ब्लाग जगत में घुईया छीलने के लिये आये थे?

    जवाब देंहटाएं
  5. पाबला जी,
    आरज़ू चाँद सी निखर जाए,
    जिंदगी रौशनी से भर जाए,
    बारिशें हों वहाँ पे खुशियों की,
    जिस तरफ आपकी नज़र जाए।
    जन्‍मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
    ------
    मायावी मामा?
    रूमानी जज्‍बों का सागर..

    जवाब देंहटाएं