एक शोध में पाया गया है कि फेसबुक सहित ट्वीटर और इंस्टाग्राम जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर प्रतिदिन ज्यादा लंबे समय तक प्रयोग से किशोरों में आत्महत्या की भावना बढ़ाने वाले विचारों, मनोवैज्ञानिक परेशानियों और मानसिक विकारों के बढ़ने का खतरा रहता है और यह उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी खराब करता है.
शोधार्थियों का कहना है कि जो किशोर लंबे समय तक सोशल नेटवर्किंग साइट्स का प्रयोग करते हैं उन्हें मानसिक स्वास्थ्य सहायता की जरूरत है.
इस अध्ययन से साफ हुआ है कि फेसबुक के ज्यादा इस्तेमाल से ही युवाओं के बीच खुदकुशी जैसे विचार बढ़ते है और मानसिक परेशानियां भी जन्म लेती हैं जिससे मानसिक स्थिति प्रभावित होती है.
अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि इस अध्ययन के जरिए माता पिता को अच्छा संदेश मिल रहा है. उनके मुताबिक यह नतीजे मानसिक स्वास्थ्य सहायक सेवाओं को भी आगाह करते हैं. उन्हें इन वेबसाइट्स को ध्यान में रखना होगा.
कनाडा में ओटावा पब्लिक हेल्थ के ह्यूग्यूस सांपसा-कयिंगा और रोजमंड लुईस ने सातवीं से 12वीं कक्षा तक के छात्रों के ओंटेरियो छात्र दवा उपभोग एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण आंकड़ों का विश्लेषण किया. इनमें से लगभग 25 प्रतिशत छात्रों को दो घंटे से ज्यादा सोशल नेटवर्किंग साइट्स प्रयोग करने का आदी पाया गया.
शोधार्थियों ने सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बिताए वक्त की तुलना किशोरों के मनौवैज्ञानिक परीक्षणों और आवश्यक मानसिक स्वास्थ्य सहायता की जरूरतों से की.
यह अध्ययन साइबर साइकलोजी, बिहेवियर एंड सोशल नेटवर्किंग जर्नल में प्रकाशित हुआ है. जिसे यहाँ क्लिक कर देखा पढ़ा जा सकता है
आभार आपका
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (26-07-2015) को
जवाब देंहटाएं"व्यापम और डीमेट घोटाले का डरावना सच" {चर्चा अंक-2048}
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जानकारी देने के लिए आपका शुक्रिया
जवाब देंहटाएंhttp://iwillrocknow.blogspot.in/
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