प्रमुख भारतीय उद्योग संगठन एसोचैम द्वारा 12 से 25 आयुवर्ग के दो हजार बच्चों और युवाओं पर कराए सर्वेक्षण के आधार पर यह बात कही गई है कि देश के लोग अब फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों से ऊबने लगे हैं। इस शोध के मुताबिक, इन साइटों पर शुरुआती दिनों में वे जितनी बार आते थे, उसके मुकाबले अब वे कम लॉग इन करने लगे हैं। जो इन साइटों पर आते हैं, उनमें ज्यादातर पहले के मुकाबले कम समय बिताते हैं।
सर्वे के मुताबिक, देश के शहरी इलाकों में सोशल मीडिया के प्रति दिलचस्पी घटी है।
अब वे सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर कम समय दे रहे हैं। ये सर्वे
अहमदाबाद, बेंगलूर, चंडीगढ़, चेन्नई, दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद, कोलकाता,
लखनऊ, मुंबई और पुणे में पिछले साल अक्टूबर और
दिसंबर के बीच कराया गया।
भले ही सोशल नेटवर्किंग आज भी सबसे बड़ी ऑनलाइन सक्रियता हो, लेकिन अब लोग इसे बोरिंग, कंफ्यूजिंग और डिप्रेशन देने वाली एक्टिविटी मानने लगे हैं। वे सोशल नेटवर्किंग साइटों पर जाने की जगह सूचना देने वाली साइट्स, ई-मेल और गेमिंग ज्यादा पसंद करने लगे हैं. अपने वॉल पर लिखे गए कॉमेंट्स या दूसरे कंटेंट पर ये बेहद कम प्रतिक्रिया देने लगे हैं।
अधिकांश ने कहा कि फेसबुक सरीखी सोशल मीडिया के लगातार इस्तेमाल से आपसी बातचीत में कमी आ रही है। सेहत पर भी असर पड़ा है। एकाग्रता में कमी, अनिंद्रा, डिप्रेशन, बेचैनी, चिड़चिड़ेपन की शिकायत हुई है। इस वजह से वे ऑनलाइन सोशल मीडिया की जगह वास्तविक जीवन में सामाजिक संपर्क बढ़ा रहे हैं।
दिल्ली में जिन 200 लोगों से सवाल पूछे गए, उनमें से करीब 65 प्रतिशत का मानना था कि लगातार बेमतलब के स्टेटस अपडेट्स और एक जैसी चीजों को देख-देख कर हम बोर हो चुके हैं।
उन्होंने अपनी डिजिटल पहचान बढ़ाने के बजाय अन्य महत्वपूर्ण चीजों पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। अब वे अपने पसंदीदा सोशल नेटवर्क को लेकर उतने उत्साहित नहीं हैं जितना शुरुआती दिनों में हुआ करते थे।
30 फीसदी ने कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने अकाउंट को या तो निष्क्रिय या फिर डिलीट कर दिया है। अब उन्हें इसमें रुचि नहीं है, जबकि कुछ का कहना है कि सोशल नेटवर्किंग के चलते उनकी निजता में खलल पड़ रही थी, इस वजह से उन्होंने इसका इस्तेमाल कम कर दिया है।
20 फीसदी लोगों का कहना है कि अब वे इन वेबसाइटों की बजाए अपने दोस्तों के संपर्क में रहने के लिए ब्लैकबेरी, मैसेंजर और मोबाइल की अन्य सुविधाओं का प्रयोग करना अधिक पसंद करते हैं।
सर्वे में 12- 25 साल के 2,000 से ज्यादा युवाओं से बातचीत की गई। इनमें लड़के-लड़कियों की तादाद बराबर थी। सर्वे में एक और दिलचस्प बात सामने आई कि लड़कों की तुलना में लड़कियां इन सोशल नेटवर्किंग साइटों पर अधिक संख्या में इकट्ठा होती हैं।

भले ही सोशल नेटवर्किंग आज भी सबसे बड़ी ऑनलाइन सक्रियता हो, लेकिन अब लोग इसे बोरिंग, कंफ्यूजिंग और डिप्रेशन देने वाली एक्टिविटी मानने लगे हैं। वे सोशल नेटवर्किंग साइटों पर जाने की जगह सूचना देने वाली साइट्स, ई-मेल और गेमिंग ज्यादा पसंद करने लगे हैं. अपने वॉल पर लिखे गए कॉमेंट्स या दूसरे कंटेंट पर ये बेहद कम प्रतिक्रिया देने लगे हैं।
अधिकांश ने कहा कि फेसबुक सरीखी सोशल मीडिया के लगातार इस्तेमाल से आपसी बातचीत में कमी आ रही है। सेहत पर भी असर पड़ा है। एकाग्रता में कमी, अनिंद्रा, डिप्रेशन, बेचैनी, चिड़चिड़ेपन की शिकायत हुई है। इस वजह से वे ऑनलाइन सोशल मीडिया की जगह वास्तविक जीवन में सामाजिक संपर्क बढ़ा रहे हैं।
दिल्ली में जिन 200 लोगों से सवाल पूछे गए, उनमें से करीब 65 प्रतिशत का मानना था कि लगातार बेमतलब के स्टेटस अपडेट्स और एक जैसी चीजों को देख-देख कर हम बोर हो चुके हैं।
उन्होंने अपनी डिजिटल पहचान बढ़ाने के बजाय अन्य महत्वपूर्ण चीजों पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। अब वे अपने पसंदीदा सोशल नेटवर्क को लेकर उतने उत्साहित नहीं हैं जितना शुरुआती दिनों में हुआ करते थे।
30 फीसदी ने कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने अकाउंट को या तो निष्क्रिय या फिर डिलीट कर दिया है। अब उन्हें इसमें रुचि नहीं है, जबकि कुछ का कहना है कि सोशल नेटवर्किंग के चलते उनकी निजता में खलल पड़ रही थी, इस वजह से उन्होंने इसका इस्तेमाल कम कर दिया है।
20 फीसदी लोगों का कहना है कि अब वे इन वेबसाइटों की बजाए अपने दोस्तों के संपर्क में रहने के लिए ब्लैकबेरी, मैसेंजर और मोबाइल की अन्य सुविधाओं का प्रयोग करना अधिक पसंद करते हैं।
सर्वे में 12- 25 साल के 2,000 से ज्यादा युवाओं से बातचीत की गई। इनमें लड़के-लड़कियों की तादाद बराबर थी। सर्वे में एक और दिलचस्प बात सामने आई कि लड़कों की तुलना में लड़कियां इन सोशल नेटवर्किंग साइटों पर अधिक संख्या में इकट्ठा होती हैं।
बेमतल की बातों से एक दिन तो बोर होना ही है।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही
हटाएंफेसबुक छोडकर ब्लोगिंग फिर से शुरु कर दी जाये :)
जवाब देंहटाएंफिर से शुरू कर दी जाए!
हटाएंअजी बंद ही कहाँ हुई है?
:-)
जी एक दिन तो ये होना ही था...
जवाब देंहटाएंसहमत
हटाएंaur jo hota hain....wo achhe ke liye hi hota hain.
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
सहमत..
जवाब देंहटाएंati sarvtra varjet..
जवाब देंहटाएंBest Valentine's Day Gifts Online
जवाब देंहटाएंSend Valentine Day Gifts Online