शुक्रवार, 20 अगस्त 2010

महिलायों द्वारा बाजार से खरीदे गए सामान पर कीमत वाला स्टीकर क्यों गायब मिलता है!?

मैं भी अक्सर सोचता था कि आखिर महिलायों द्वारा लाये गये कपड़ों में कीमत वाला कागज़ कहाँ गायब हो जाता है। अब जा कर इस शक की पुष्टि हुई है कि महिलाएं बाजार से की गई खरीदारी अक्सर अपने साथी या घर के पुरूष सद्स्य से छिपाती हैं। ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन में दस में से आठ महिलाओं ने माना कि वह नियमित खरीदारी करने के बाद घर पहुंचने से पहले सामान की असली कीमत छिपाने के लिए प्राइस टैग उतार देती हैं।

इस अध्ययन से पता चला कि लाखों महिलाएं कपड़ों, जूतों और अन्य छोटी-मोटी वस्तुओं की कीमत छिपाने की कोशिश करती हैं। 3000 महिलाओं पर हुए इस सर्वे की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दो-तिहाई महिलाएं खरीदारी करने के बाद अक्सर अपने पार्टनर को बताती हैं कि उन्हें यह सामान बहुत सस्ते दामों में मिल गया। वहीं अन्य महिलाओं का कहना था कि ये सामान सेल में खरीदा था। एक चौथाई ने बताया कि वे नए खरीदे कपड़ों को यह कहकर छिपाती हैं कि ये कपड़े पुराने हैं।


अध्ययन दल के एक सदस्य के अनुसार, झूठ बोल रही महिलाओं की इस आदत के लिए जिम्मेदार है उनका इस तरह फिज़ूल पैसे खर्च करने के लिए खुद को दोषी महसूस करना। आखिर उनके पास हर अवसर पर पहनने के लिए कुछ ना कुछ रहता है, इसलिए खरीदारी कर घर आते आते उन्हें एक अपराध-बोध सा होने लगता है।

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