गरीब लोगों का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है, इस पर भी शोधकर्ता विस्तृत अध्ययन करेंगे। शोध के दौरान गांवों, शहरों और महानगरों में गरीबों की स्थिति का अलग-अलग आंकलन किया जाएगा। प्रोफेसर वॉल्कर का मानना है कि अभी विश्व के अलग-अलग देश गरीब और गरीबी को किस नजरिए से देखते हैं, इसकी काफी कम जानकारी है। चीन में व्यक्ति खुद को गरीब बताने से बचता है। भारत या पाकिस्तान में परिवार के सदस्य की इज्जत से खिलवाड़ पूरे परिवार की मर्यादा का प्रश्न बन जाता है।
प्रोफेसर वॉल्कर का मानना है कि सरकारी योजनाओं में शब्दों की इतनी बाजीगरी होती है कि गरीब समझ ही नहीं पाता कि इसका आशय क्या है। इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ता इसका भी अध्ययन करेंगे कि क्या सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ गरीबों तक पहुंच रहा है ?
वाल्कर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस शोध से संबंधित देशों की सरकारों को गरीबों के संबंध में नीतियां बनाने में आसानी होगी।
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