शनिवार, 28 अगस्त 2010

क्‍या गरीबों को अपनी गरीबी पर शर्म भी आती है? जानने के लिए 375 करोड़ खर्च होंगे

गरीबों को अपनी गरीबी पर शर्म भी आती है क्‍या? इस सवाल का जवाब जानने के लिए बाकायदा एक शोध होने जा रहा है। यह शोध 8 देशों में होगा। इनमें भारत भी शामिल है, जहां रोज गरीबी के कारण औसतन 8 लोग जान दे देते हैं। शोध पर 5 लाख पाउंड (करीब 375 करोड़ रुपये) खर्च होंगे। लंदन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता गरीब व्यक्तियों और उनके बच्चों का इंटरव्यू लेंगे और जानने की कोशिश करेंगे कि ये निर्धन लोग खुद के बारे में क्या सोचते हैं और समाज उनसे किस तरह का व्यवहार करता है। प्रोफेसर रॉबर्ट वॉल्कर के नेतृत्व में होने वाला यह शोध ग्रेट ब्रिटेन, नार्वे, चीन, भारत, पाकिस्तान, युगांडा, दक्षिण कोरिया और जर्मनी में किया जाएगा।


गरीब लोगों का समाज पर क्‍या प्रभाव पड़ता है, इस पर भी शोधकर्ता विस्तृत अध्ययन करेंगे। शोध के दौरान गांवों, शहरों और महानगरों में गरीबों की स्थिति का अलग-अलग आंकलन किया जाएगा। प्रोफेसर वॉल्कर का मानना है कि अभी विश्व के अलग-अलग देश गरीब और गरीबी को किस नजरिए से देखते हैं, इसकी काफी कम जानकारी है। चीन में व्यक्ति खुद को गरीब बताने से बचता है। भारत या पाकिस्तान में परिवार के सदस्य की इज्जत से खिलवाड़ पूरे परिवार की मर्यादा का प्रश्न बन जाता है।

प्रोफेसर वॉल्कर का मानना है कि सरकारी योजनाओं में शब्दों की इतनी बाजीगरी होती है कि गरीब समझ ही नहीं पाता कि इसका आशय क्या है। इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ता इसका भी अध्ययन करेंगे कि क्या सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ गरीबों तक पहुंच रहा है ?

वाल्‍कर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस शोध से संबंधित देशों की सरकारों को गरीबों के संबंध में नीतियां बनाने में आसानी होगी।

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