शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010

फर्राटेदार अंग्रेजी नहीं है सम्मान की गारंटी

यदि आप यह सोचते हैं कि केवल अंग्रेजी बोलने से ही आपको सम्मान मिलेगा तो आप शायद गलत हैं। दैनिक भास्कर डॉट कॉम के देश के 17 शहरों में कराए गए सर्वे में 65 फीसदी लोगों ने यह विचार व्यक्त किए हिंदी दिवस पर कराए गए इस सर्वे ने आम हिंदुस्तानी के मन में बरसों से बैठी इस मान्यता को ध्वस्त कर दिया है कि केवल फर्राटेदार अंग्रेजी बोलना ही कहीं भी आपको सम्मान दिलाने की गारंटी बन सकता है।



हालांकि, सर्वे में चौंकाने वाली यह बात भी निकल कर आई है कि 70 फीसदी लोग विभिन्न सरकारी और निजी कामों के दौरान भरे जाने वाले फॉर्म में हिंदी का विकल्प होने के बावजूद अंग्रेजी का इस्तेमाल करते हैं। दिल्ली, मुंबई लखनऊ के अलावा मप्र, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा में हुए इस सर्वे में 2170 से अधिक लोगों ने भागीदारी की।

इसी तरह एक अन्य प्रश्न के जवाब में अधिकांश लोग बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उच्च शिक्षा में भी हिंदी को एक विषय के रूप में रखने के पक्ष में हैं। 57 फीसदी लोगों ने इसमें सहमति जताई है जबकि 25 फीसदी लोग हिंदी को प्राइमरी स्कूल तक ही रखने के पक्ष में हैं।

मीडिया पर हिंदी को विकृत करने के आरोप के प्रश्न पर लगभग 48 फीसदी लोगों का मानना है कि इसी बहाने कम से कम हिंदी का प्रसार तो हो रहा है। जबकि 27 फीसदी लोग कहते हैं कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि हिंग्लिश का प्रयोग बढ़ रहा है। हालांकि 20 फीसदी लोग इसे बेहद खराब मानते हैं।

सर्वे में उभर कर आया है कि हिंदी को सर्वाधिक लोकप्रिय बनाने में मीडिया के साथ बॉलीवुड की बहुत बड़ी भूमिका है। हिंदी के प्रसार में सरकारी प्रयासों को लोग लगभग नगण्य मानते हैं। 38 फीसदी लोग मीडिया को और 52 फीसदी लोग बॉलीवुड को हिंदी के प्रसार और विस्तार के लिए जिम्मेदार मानते हैं।

इसी तरह देश में अंग्रेजी बोलने वालों की संख्या में खासी बढ़ोतरी के बावजूद हिंदुस्तानी बड़े शोरूम, होटलों या हवाई अड्डे के काउंटर पर पूछताछ करने के लिए बेझिझक हिंदी का ही इस्तेमाल करते हैं। लगभग 52 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें ऐसी जगहों पर हिंदी के प्रयोग में शर्म नहीं आती। जबकि 26 प्रतिशत का कहना है कि वे अंग्रेजी को ही तज्‍जच्चो देते हैं।

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